बुधवार, 14 सितंबर 2016

..एक बात ...

..एक बात ....
किसी महान संत ने कहा है - '' अपने लक्ष्य को इतना महान बना दो कि अन्य काम व्यर्थ लगाने लगे |
इन ग्रामीण प्राइमरी शाला के शिक्षकों  ने उक्त वाक्य से प्रेरित होकर लक्ष्य बनाया -, दो बजे के बाद वे कभी शाला में नहीं ठहरते , पढाई-लिखाई , शालेय काम भाड़ में जाए .....|
हा ..हा..हा..

रविवार, 21 फ़रवरी 2016

@समय

@समय

भाई में चार –पांच दिनों से सुधार दिख रहा है |वह न तो लड़कियों की तरफ नजर उठा कर  देखता न हीं उनके बारे में फिजूल की चर्चा करता | भाई के गेंग वाले लोग बड़े परेशान हैं भाई के इस बदले व्यवहार से |भाई का व्यवहार का विश्लेषण करने के लिए एक ने राह से गुजरती लड़की की तरफ इशारा करते हुए कहा- ‘’ भाई ,वो देख  माल जा रहा है ...कैसा है ?’  
‘’ अबे चुप , साले फालतू बात मत कर ...|
‘’ क्यों भाई ये क्या हो गया आपको ?पहले तो आप .....?’’

‘’ अबे , चुप रह कहा न , साले कुत्ते जानता नहीं अभी नवरात्री पर्व चल रहा है |इन दिनों मैं सात्विक रहता हूँ ,देवी मां की सेवा में लीन रहकर |साले कुत्ते समय की मर्यादा का भी ख्याल नहीं रखते  ...|’’

रविवार, 31 जनवरी 2016

लघुव्यंग्य – बस यूँ ही

लघुव्यंग्य – बस यूँ ही

स्थान्तरित होकर आए नए साहब ने सबसे पहले दफ्तर की दीवार पर बड़े अक्षर में लिखवाया –‘’ इस कार्यालय में ध्रूमपान पूर्णत: निषेध है |ध्रूमपान करते पाए जाने पर दो सौ रुपये का जुर्माना किया जाएगा |
लेकिन उनके कक्ष की टेबिल पर राखी  ऐशट्रे  शाम तक सिगरेट की राख से भर जाती | प्रतिक्रया में वे कहते पाए जाते –‘’ सरकारी दफ्तरों में आजकल शब्दों की धकोसलेबाजी की उठापटक ही तो चल रही है |’


सुनील कुमार ‘सजल’ 

शुक्रवार, 15 जनवरी 2016

व्यंग्य – आधुनिक विचार

व्यंग्य – आधुनिक विचार

‘’ परसों तू जिस लड़की की फोटो दिखा रहा था |तू और तेरे घर वाले देख आए उसे ...?’’ साथी ने प्रश्न किया |’
‘’ हां..पर मुझे पसंद नहीं आई |’’ विनीत ने कहा |’’
‘’ क्यों..? इतनी खूबसूरत लड़की तुझे पसंद नहीं आ रही ... बेवकूफ है तू पूरा का पूरा | ‘’’
‘’ अबे वह बात नहीं ... वह तो शांत है अच्छी है |’’
‘’ तो कौन सी बात है |’’
‘’ मुझे कमाऊ लड़की चाहिए , जो शादी के बाद भी चार पैसे कमा सके ... देख रहा है मंहगाई का रौद्र रूप ... अकेले की कमाई से गुजारा हो सकेगा ? मुझे रंग रूप नहीं बल्कि वक्त से टकराने वाली लड़की चाहिए  समझा...|’’
साथी सहमत था |

सुनील कुमार सजल 

शनिवार, 2 जनवरी 2016

नया साल तुम्हारा अभिनन्दन

नया साल तुम्हारा अभिनन्दन

नए साल
तुम्हारा अभिनन्दन है
अधरों ने
मुस्कुराकर
स्वागत किया
मन ने पिछले दर्दों को
भुला दिया
साँस-सांस में
महक रही
धुल-चन्दन है
सपनों की बस्ती
फिर संवर गयी
मन-अम्बर में उम्मीदों की
चांदनी खिल गयी
आशाओं की कलाई में
खुशियों का

कंगन है  

शनिवार, 12 दिसंबर 2015

@ जरूर

@ जरूर

'' सर आपके दफ्तर में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर पहुँच रहा है |'' पत्रकार ने अफसर से कहा |
''आपकी तकलीफ ....|''
''अगर आपने अंकुश नहीं लगाया तो हम अपने अखबार ,में छाप देंगे ...|''
'' चाप दीजिए ...जरूर छाप दीजिए ... वैसे भी मैं  इस खेत्र में अभी पदस्थ हुआ हूँ |कम से कम लोगों को मेरे स्वभाव के बारेमें पता तो चल जाएगा |अफसर ने पूरे इत्मीनान से जवाब दिया |

@सच

@सच

नेता किस-किस जन को करे खुश ,
और जनता भी किस-किस नेता को |
दोनों नाखुश हैं ,
पर कष्ट जनता ही सहती है |